Essay : (ग्लोबल वार्मिंग) GLOBAL WARMING Nibandh in Hindi
ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (Global Warming Essay in Hindi):
Given below some lines of Short Essay / Nibandh on Global Warming in Hindi.
Given below some lines of Short Essay / Nibandh on Global Warming in Hindi.
'ग्लोबल वार्मिंग' आज विश्व की सबसे बड़ी समस्या के रूप में विराजमान है। ग्लोबल वार्मिंग धरती के वातावरण के तापमान में लगातार हो रही बढ़ोतरी है। इस समस्या से न केवल मनुष्य, बल्कि धरती पर रहने वाला प्रत्येक प्राणी प्रभावित है। इस समस्या से निपटने के लिए दुनियाभर में अनेक प्रयास किए जा रहे हैं, किन्तु समस्या कम होने के बजाय दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।
हमारी धरती प्राकृतिक तौर पर सूर्य की किरणों से ऊष्मा प्राप्त करती है। ये किरणें वायुमंडल से गुजरती हुईं धरती की सतह से टकराती हैं और फिर वहीं से परावर्तित होकर पुन: लौट जाती हैं। धरती का वायुमंडल कई गैसों से मिलकर बना है जिनमें कुछ ग्रीनहाउस गैसें भी शामिल हैं। इनमें से अधिकांश धरती के ऊपर एक प्रकार से एक प्राकृतिक आवरण बना लेती हैं। यह आवरण लौटती किरणों के एक हिस्से को रोक लेता है और इस प्रकार धरती के वातावरण को गर्म बनाए रखता है। ग्रीनहाउस गैसों में बढ़ोतरी होने पर यह आवरण और भी सघन होता जाता है। ऐसे में यह आवरण सूर्य की अधिक किरणों को रोकने लगता है, जिससे धरती के वातावरण के तापमान में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है।
ग्लोबल वार्मिंग की समस्या के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार मनुष्य की गतिविधियां हैं। मनुष्य की गतिविधियों से कार्बन डाईआक्साइड, मिथेन, नाइट्रोजन आक्साइड इत्यादि ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा वातावरण में लगातार बढ़ रही हैं, जिससे वातावरण में गैसों का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। यही आवरण सूर्य की परावर्तित किरणों को रोक रहा है जिससे धरती के तापमान में वृध्दि हो रही है। वाहनों एवं उद्योगों से अंधाधुंध होने वाले गैसीय उत्सर्जन और प्रदूषण की वजह से वातावरण में कार्बन डाईआक्साइड में बढ़ोतरी हो रही है। बड़ी संख्या में हो रहा जंगलों का विनाश भी ग्लोबल वार्मिंग का प्रमुख कारण है।
आज दुनिया के सभी विकसित और विकासशील देश ग्लोबल वार्मिंग की समस्या के प्रति चिंतित हैं। अब समय आ गया है कि इस समस्या से निपटने के लिए सार्थक प्रयास किये जाएँ। यह जिम्मेदारी केवल सरकार की नहीं है। हम सभी भी पेटोल, डीजल और बिजली का उपयोग कम करके हानिकारक गैसों के उत्सर्जन को कम करना चाहिए। जंगलों के विनाश को रोकने और वृक्षारोपण को बढ़ावा देने से समस्या के निदान में मदद की जा सकती है। यदि ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को शीघ्र नियंत्रित ना किया गया तो जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर मनुष्य पर ही पड़ेगा।
हमारी धरती प्राकृतिक तौर पर सूर्य की किरणों से ऊष्मा प्राप्त करती है। ये किरणें वायुमंडल से गुजरती हुईं धरती की सतह से टकराती हैं और फिर वहीं से परावर्तित होकर पुन: लौट जाती हैं। धरती का वायुमंडल कई गैसों से मिलकर बना है जिनमें कुछ ग्रीनहाउस गैसें भी शामिल हैं। इनमें से अधिकांश धरती के ऊपर एक प्रकार से एक प्राकृतिक आवरण बना लेती हैं। यह आवरण लौटती किरणों के एक हिस्से को रोक लेता है और इस प्रकार धरती के वातावरण को गर्म बनाए रखता है। ग्रीनहाउस गैसों में बढ़ोतरी होने पर यह आवरण और भी सघन होता जाता है। ऐसे में यह आवरण सूर्य की अधिक किरणों को रोकने लगता है, जिससे धरती के वातावरण के तापमान में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है।
ग्लोबल वार्मिंग की समस्या के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार मनुष्य की गतिविधियां हैं। मनुष्य की गतिविधियों से कार्बन डाईआक्साइड, मिथेन, नाइट्रोजन आक्साइड इत्यादि ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा वातावरण में लगातार बढ़ रही हैं, जिससे वातावरण में गैसों का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। यही आवरण सूर्य की परावर्तित किरणों को रोक रहा है जिससे धरती के तापमान में वृध्दि हो रही है। वाहनों एवं उद्योगों से अंधाधुंध होने वाले गैसीय उत्सर्जन और प्रदूषण की वजह से वातावरण में कार्बन डाईआक्साइड में बढ़ोतरी हो रही है। बड़ी संख्या में हो रहा जंगलों का विनाश भी ग्लोबल वार्मिंग का प्रमुख कारण है।
आज दुनिया के सभी विकसित और विकासशील देश ग्लोबल वार्मिंग की समस्या के प्रति चिंतित हैं। अब समय आ गया है कि इस समस्या से निपटने के लिए सार्थक प्रयास किये जाएँ। यह जिम्मेदारी केवल सरकार की नहीं है। हम सभी भी पेटोल, डीजल और बिजली का उपयोग कम करके हानिकारक गैसों के उत्सर्जन को कम करना चाहिए। जंगलों के विनाश को रोकने और वृक्षारोपण को बढ़ावा देने से समस्या के निदान में मदद की जा सकती है। यदि ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को शीघ्र नियंत्रित ना किया गया तो जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर मनुष्य पर ही पड़ेगा।
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