(अधिवक्ता दिवस) ADHIVAKTA DIWAS in Hindi | Essay
अधिवक्ता दिवस (Adhivakta Diwas in Hindi):
Given below some lines of Short Essay on Adhivakta Diwas in Hindi.
Given below some lines of Short Essay on Adhivakta Diwas in Hindi.
भारत में, 'अधिवक्ता दिवस' प्रत्येक वर्ष 3 दिसंबर को मनाया जाता है। यह भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ० राजेन्द्र प्रसाद का जन्म दिवस है। उनका जन्म 3 दिसंबर, 1884 को बिहार के एक छोटे से गांव जीरादेई में हुआ था। उनके जन्म की वर्षगाँठ 3 दिसंबर को अधिवक्ता समुदाय द्वारा प्रत्येक वर्ष अधिवक्ता दिवस के रूप में धूम-धाम से मनाया जाता है।
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद स्वयं एक विद्वान अधिवक्ता थे। वह भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। उन्होंने 12 वर्षों तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने के पश्चात वर्ष 1962 में अपने अवकाश की घोषणा की। सम्पूर्ण देश में अत्यन्त लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेन्द्र बाबू या देशरत्न कहकर पुकारा जाता था। उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए भारत सरकार द्वारा वर्ष 1962 में उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
अपने चट्टान सदृश्य आदर्शों एवं श्रेष्ठ भारतीय मूल्यों के लिए राष्ट्र के लिए डॉ० राजेन्द्र प्रसाद सदैव प्रेरणाश्रोत बने रहेंगे। उनकी जयंती सम्पूर्ण देश में धूम-धाम से मनायी जाती है। अधिवक्ता समुदाय द्वारा अधिवक्ता दिवस के अवसर पर कई जगह सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस दिन जगह-जगह संगोष्ठी का आयोजन किया जाता है। वरिष्ठ अधिवक्ताओं को सम्मानित किया जाता है। डॉ० राजेन्द्र प्रसाद की मूर्ति पर माल्यार्पण किया जाता है तथा उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है।
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद स्वयं एक विद्वान अधिवक्ता थे। वह भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। उन्होंने 12 वर्षों तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने के पश्चात वर्ष 1962 में अपने अवकाश की घोषणा की। सम्पूर्ण देश में अत्यन्त लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेन्द्र बाबू या देशरत्न कहकर पुकारा जाता था। उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए भारत सरकार द्वारा वर्ष 1962 में उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
अपने चट्टान सदृश्य आदर्शों एवं श्रेष्ठ भारतीय मूल्यों के लिए राष्ट्र के लिए डॉ० राजेन्द्र प्रसाद सदैव प्रेरणाश्रोत बने रहेंगे। उनकी जयंती सम्पूर्ण देश में धूम-धाम से मनायी जाती है। अधिवक्ता समुदाय द्वारा अधिवक्ता दिवस के अवसर पर कई जगह सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस दिन जगह-जगह संगोष्ठी का आयोजन किया जाता है। वरिष्ठ अधिवक्ताओं को सम्मानित किया जाता है। डॉ० राजेन्द्र प्रसाद की मूर्ति पर माल्यार्पण किया जाता है तथा उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है।
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