(सच्चिदानंद वात्स्यायन) SACHCHIDANAND VATSYAYAN in Hindi | Jivani | Jeevan Parichay | Essay
सच्चिदानंद वात्स्यायन का जीवन परिचय (Sachchidanand Vatsyayan Jivani in Hindi):
Given below some lines for Short Essay / Jeevan Parichay of Sachchidanand Vatsyayan in Hindi.
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सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' का जन्म सन 1911 ई० में हुआ था। इनका बचपन इनके पिता डा० हीरानन्द शास्त्री के साथ जो भारत के प्रसिद्द पुरातत्ववेत्ता थे, कश्मीर, बिहार तथा मद्रास में व्यतीत हुआ था।
'अज्ञेय' जी की शिक्षा मद्रास तथा लाहौर में हुई। सन 1929 में इन्होने लाहौर से बी०एस०सी० की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके पश्चात इन्होने अंग्रेजी विषय लेकर एम०ए० पास किया। इन्होने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए राष्ट्रव्यापी आन्दोलनों में डटकर भाग लिया। 'अज्ञेय' ने किसान आन्दोलन में भी भाग लिया। इनको साहित्य साधना में प्रारम्भ से ही रूचि रही। इन्होने जेल जीवन में भी साहित्य रचना की।
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' अनेक पत्रिकाओं के संपादक रहे थे। इन्होने सैनिक, विशाल भारत, प्रतीक और अंग्रेजी त्रैमासिक पत्रिका वाक् का संपादन किया। कुछ वर्ष ये आकाशवाणी से भी सम्बद्ध रहे। अपनी घुमक्कड़ प्रकृति के वशीभूत होकर इन्होने अनेक बार देश विदेशों की यात्रा की।
'अज्ञेय' जी प्रयोगवाद के प्रवर्तक थे। ये बहुमुखी प्रतिभा के साहित्यकार थे। उनके प्रमुख काव्य संग्रह निम्न हैं-- भग्न दूत, चिन्ता, कितनी नावों में कितनी बार, बावरा अहेरी आदि। इनके प्रमुख उपन्यास निम्न हैं-- शेखर: एक जीवनी, नदी के द्वीप, अपने अपने अजनबी आदि। विपथगा, कोठरी की बात, परम्परा शरणार्थी और जयदोल 'अज्ञेय' जी के प्रमुख कहानी संग्रह हैं।
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' जी के काव्य में भाव पक्ष और कला पक्ष दोनों ही दृष्टि से नवीनता है। इन्होने अनेक नवीन प्रयोग किये। ये प्रयोगवाद के प्रवर्तक थे। इन्होने नयी कविता को प्रोत्साहन दिया। सन 1987 में 76 वर्ष की आयु में इनका देहांत हो गया। हिन्दी साहित्य जगत में 'अज्ञेय' जी को सदैव याद रखा जायेगा।
'अज्ञेय' जी की शिक्षा मद्रास तथा लाहौर में हुई। सन 1929 में इन्होने लाहौर से बी०एस०सी० की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके पश्चात इन्होने अंग्रेजी विषय लेकर एम०ए० पास किया। इन्होने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए राष्ट्रव्यापी आन्दोलनों में डटकर भाग लिया। 'अज्ञेय' ने किसान आन्दोलन में भी भाग लिया। इनको साहित्य साधना में प्रारम्भ से ही रूचि रही। इन्होने जेल जीवन में भी साहित्य रचना की।
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' अनेक पत्रिकाओं के संपादक रहे थे। इन्होने सैनिक, विशाल भारत, प्रतीक और अंग्रेजी त्रैमासिक पत्रिका वाक् का संपादन किया। कुछ वर्ष ये आकाशवाणी से भी सम्बद्ध रहे। अपनी घुमक्कड़ प्रकृति के वशीभूत होकर इन्होने अनेक बार देश विदेशों की यात्रा की।
'अज्ञेय' जी प्रयोगवाद के प्रवर्तक थे। ये बहुमुखी प्रतिभा के साहित्यकार थे। उनके प्रमुख काव्य संग्रह निम्न हैं-- भग्न दूत, चिन्ता, कितनी नावों में कितनी बार, बावरा अहेरी आदि। इनके प्रमुख उपन्यास निम्न हैं-- शेखर: एक जीवनी, नदी के द्वीप, अपने अपने अजनबी आदि। विपथगा, कोठरी की बात, परम्परा शरणार्थी और जयदोल 'अज्ञेय' जी के प्रमुख कहानी संग्रह हैं।
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' जी के काव्य में भाव पक्ष और कला पक्ष दोनों ही दृष्टि से नवीनता है। इन्होने अनेक नवीन प्रयोग किये। ये प्रयोगवाद के प्रवर्तक थे। इन्होने नयी कविता को प्रोत्साहन दिया। सन 1987 में 76 वर्ष की आयु में इनका देहांत हो गया। हिन्दी साहित्य जगत में 'अज्ञेय' जी को सदैव याद रखा जायेगा।
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