(रामधारी सिंह दिनकर) RAMDHARI SINGH DINKAR in Hindi | Jivani | Jeevan Parichay | Essay
रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय (Ramdhari Singh Dinkar Jivani in Hindi):
Given below some lines for Short Essay / Jeevan Parichay of Ramdhari Singh Dinkar in Hindi.
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'रामधारी सिंह दिनकर' का जन्म सन 1908 ई0 में बिहार राज्य के मुंगेर जिले के सिमरिया नामक गाँव में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। जब दिनकर जी दो वर्ष के थे तभी इनके पिता जी का स्वर्गवास हो गया। इनकी विधवा माता ने इनका पालन-पोषण किया। दिनकर जी ने पटना विश्वविद्यालय से बी०ए० (आनर्स) की परीक्षा उत्तीर्ण की। छात्र जीवन में ही ये कविता रचने लगे थे। कुछ समय तक अध्यापन कार्य करने के पश्चात ये सीतामढ़ी में सब रजिस्ट्रार बने। सन 1950 ई० में ये मुजफ्फरपुर के महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष बने। सन 1952 ई० में इनको राज्य सभा का सदस्य मनोनीत किया गया। दिनकर जी केन्द्रीय सरकार की हिन्दी समिति के परामर्शदाता तथा भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुल पति भी रहे। 'संस्कृति के चार अध्याय' नामक उनकी पुस्तक पर 'साहित्य-अकादमी पुरस्कार' और 'उर्वशी' नामक ग्रन्थ पर 'ज्ञानपीठ' पुरस्कार भी प्रदान किया गया। भारत सरकार ने इनको 'पद्म भूषण' की उपाधि प्रदान की। सन 1974 ई० में इनका स्वर्गवास हो गया। दिनकर की प्रमुख काव्य-कृतियाँ हैं-- 'रेणुका', 'हुंकार', 'रश्मिरथी', 'रसवंती', 'नील कुसुम', 'कुरुक्षेत्र', 'उर्वशी' आदि। उनकी प्रमुख गद्य-कृतियाँ हैं-- 'संस्कृत के चार अध्याय', 'शुद्ध-कविता की खोज', 'साहित्योंमुखी', 'दिनकर की डायरी', 'काव्य की भूमिका', 'रेती के फूल', 'मिट्टी की ओर', 'अर्धनारीश्वर' आदि, जिनमें उनके विभिन्न विचारात्मक एवं समीक्षात्मक निबंध संग्रहीत हैं। दिनकर जी आरम्भ से ही लोक के प्रति समर्पित कवि रहे हैं। राष्ट्रीय आन्दोलनों, गांधी जी की विचार धारा तथा बढ़ती हुई समाज की विशेषताओं, अत्याचारों ने मिलकर दिनकर जी की आत्मा को प्रभावित किया। यही कारण है कि उनके काव्य में राष्ट्रीयता, देश प्रेम, वर्तमान पतन एवं शोषण के प्रति विद्रोह, उद्बोधन आदि है। 'दिनकर' जी हमारे राष्ट्रकवि हैं। उनकी कविताओं ने देश की सोयी हुई जनता को जगाया है। वे मानवता के महान पुजारी थे। वे देश में एक नई चेतना लाना चाहते थे। उन्होंने भारत के प्राचीन गौरव का गुणगान किया जिससे हम अपने भविष्य को उज्जवल बना लें।
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