Essay on My Train Journey in Hindi | Nibandh

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My Train Journey Essay in Hindi

Given below some lines of Short Nibandh / Essay on My Train Journey in Hindi.

रेल-यात्रा सदैव एक अविस्मर्णीय अनुभव होता है। मैंने रेल से अनेक बार यात्रा क़ी किन्तु इस बार क़ी रेल-यात्रा मुझे सदैव याद रहेगी। इस वर्ष ग्रीष्मावकाश में मैं भी अपने परिवार के साथ रेल-यात्रा द्वारा दिल्ली गया। जिस दिन हम सबको दिल्ली हेतु रवाना होना था, लखनऊ में घनघोर वर्षा हो रही थी। रेलवे स्टेशन तक किसी प्रकार पहुँचने पर पता चला कि ट्रेन आधा घंटे विलम्ब से जायेगी। बाहर घनघोर बारिश हो रही थी। हम सब ट्रेन की प्रतीक्षा हेतु प्रतीक्षालय पहुंचे। प्लेटफॉर्म पर हर तरफ यात्री तेज़ी से आते-जाते दिख रहे थे। बीच-बीच में फेरीवालों की आवाज़ें सुनाई दे रही थीं। ट्रेन की घोषणा जैसे ही होती थी सभी शांतिपूर्वक सुनने लगते थे। ट्रेन आने पर हम सभी अपनी-अपनी सीट पर बैठ गए। मेरे साथ मेरे माता-पिता व दादी थीं। कुछ ही देर में ट्रेन स्टेशन से रवाना हो गई। मैं कौतुहूलवश खिड़की के पास वाली सीट पर ही बैठा था। बारिश अभी भी चल रही थी। ट्रेन चलने के बाद कुछ देर तक तो शहरी आबादी दिख रही थी। लोग रिक्शे, साइकिल, स्कूटर इत्यादि से आते-जाते दिख रहे थे एवं बारिश से बचने का प्रयास कर रहे थे। कुछ देर के पश्चात खेत-खलिहान के दृश्य दिखने लगे। हरे-भरे खेत व बाग के दृश्य मन को मोह रहे थे। जगह-जगह जल भराव के कारण तालाब-पोखर जैसी स्थिति बन गई थी। आम के बागों में वृक्षों पर आम के गुच्छे लटके दिख रह थे, जिन्हे देखकर बरबस ही मुंह में पानी आ रहा था। ट्रेन चलती जा रही थी। बीच-बीच में छोटे स्टेशन निकलते दिख रहे थे जिनमें ट्रेन रुकती नहीं थी। बड़े स्टेशन आने पर ट्रेन रुकती थी एवं चढ़ने-उतरने वालों की भीड़ दिखने लगती थी। स्टेशन पर 'चाय-गर्म', 'पान-बीड़ी-सिगरेट', 'पूड़ी-सब्जी' एवं 'गर्म-समोसे' आदि की आवाज़ें सुनाई देने लगती थीं। रेल-यात्रा में बाहर का दृश्य बड़ा ही मनोहारी था। कभी गांव के छोटे-छोटे घर एवं चारों ओर फल-सब्जियों के बाग दिखाई देते तो कभी खेतों के आस-पास गाय, बकरी इत्यादि के झुंड दिख जाते। आबादी भूमि से ट्रेन के गुजरने पर छोटे-छोटे बच्चे हाथ हिलाकर 'बाय -बाय' करते दिख जाते। रास्ते में छोटी-छोटी नहरें व नदियां निकलती तो पुल पर ट्रेन की गति धीमी हो जाती थी। यमुना नदी के पुल पर ट्रेन गुजरने के समय का दृश्य तो अत्यंत रोमांचित करने वाला था। गर्मी के मौसम में सैकड़ों लोग नदी में नहाते व तैरते दिखाई दे रहे थे। कुछ लोग छोटी-छोटी नावों से मछली पकड़ने का कांटा लिए बैठे थे। दिल्ली शहर यमुना नदी के किनारे बसा होने के कारण नदी के पुल से ही शहर के मकान व इमारतें दिखने लगती हैं। स्टेशन पहुँचने पर हमारे पारिवारिक मित्र हमारे स्वागत हेतु स्टेशन पर उपस्थित थे। हम लोग घर पहुंचे तथा अगले दिन से दिल्ली की ऐतिहासिक इमारतों व स्मारकों का भ्रमण किया।
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