Essay : (रेलवे स्टेशन का दृश्य) RAILWAY STATION KA DRISHYA Nibandh in Hindi
रेलवे स्टेशन का दृश्य पर निबंध (Railway Station Ka Drishya Essay in Hindi):
Given below some lines of Short Essay / Nibandh on Railway Station Ka Drishya in Hindi.
Given below some lines of Short Essay / Nibandh on Railway Station Ka Drishya in Hindi.
रेल का स्टेशन भी सबके मेल-मिलाप का एक आकर्षक स्थान होता है। हिन्दू, मुसलमान, सिक्ख, ईसाई, पारसी, यहूदी सब ही दिखाई देते हैं। कोई किसी मित्र को लेने आया है, कोई किसी सम्बन्धी को छोड़ने आया है और स्वयं कलकत्ता, बम्बई जाने को तैयार है।
स्टेशन में ज्यों ही गाड़ी आती है, पूरे स्टेशन में कोलाहल जाग उठता है। कुली सामान उठाये इधर-उधर भागे फिरते हैं। यात्री अच्छे स्थानों के लिए बेचैन रहते हैं। यद्यपि एक कुली क़ी मजदूरी प्रति फेरी निश्चित होती है, परन्तु भीड़-भाड़ में मुँह मांगी मजदूरी लेते हैं।
स्टेशन के कर्मचारी भी अपने-अपने कर्त्तव्य में लीन दिखाई देते हैं। गत सप्ताह मैं भी अपने भतीजे को गाड़ी में सवार कराने गया था। स्टेशन पर बड़ी भीड़ थी। सामान्य एवं स्लीपर दर्जे के डिब्बे खचाखच भरे हुए थे। बड़ी मुश्किल से डिब्बे में खड़े होने क़ी जगह मिली थी।
स्टेशन में ज्यों ही गाड़ी आती है, पूरे स्टेशन में कोलाहल जाग उठता है। कुली सामान उठाये इधर-उधर भागे फिरते हैं। यात्री अच्छे स्थानों के लिए बेचैन रहते हैं। यद्यपि एक कुली क़ी मजदूरी प्रति फेरी निश्चित होती है, परन्तु भीड़-भाड़ में मुँह मांगी मजदूरी लेते हैं।
स्टेशन के कर्मचारी भी अपने-अपने कर्त्तव्य में लीन दिखाई देते हैं। गत सप्ताह मैं भी अपने भतीजे को गाड़ी में सवार कराने गया था। स्टेशन पर बड़ी भीड़ थी। सामान्य एवं स्लीपर दर्जे के डिब्बे खचाखच भरे हुए थे। बड़ी मुश्किल से डिब्बे में खड़े होने क़ी जगह मिली थी।
Essay : (रेलवे स्टेशन का दृश्य) RAILWAY STATION KA DRISHYA Nibandh in Hindi
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