Essay : (भारतीय गांव) BHARATIYA GAON Nibandh in Hindi

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भारतीय गांव पर निबंध (Bharatiya Gaon Essay in Hindi):
Given below some lines of Short Essay / Nibandh on Bharatiya Gaon in Hindi.

भारतवर्ष प्रधानतः गांवों का देश है। यहाँ की दो-तिहाई से अधिक जनसँख्या गांवों में रहती है। आधे से अधिक लोगों का जीवन खेती पर निर्भर है। इसलिए गांवों के विकास के बिना देश का विकास किया जा सकता है, ऐसा सोंचा भी नहीं जा सकता।

अंग्रेज़ों के जाने के बाद स्वाधीन भारत में खेती के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई। 1952 में जब पहली पंचवर्षीय योजना का आरम्भ हुआ तो उसमें खेती के विकास पर सबसे अधिक ध्यान दिया गया।

खेती के विकास के साथ-साथ ग्राम-विकास कि गति भी बढ़ी। आज भारत के अधिकाँश गांवों में पक्के मकान पाये जाते हैं। लगभग सभी किसानों के पास अपने हल और बैल हैं। बहुतों के पास ट्रेक्टर आदि भी पाये जाते हैं। किसानों कि आय भी बढ़ी है।

ग्राम-सुधार की दृष्टि से शिक्षा पर भी पर्याप्त ध्यान दिया जा रहा है। आज अधिकाँश गांवों में प्राथमिक पाठशालाएँ हैं। जहाँ नहीं हैं, वहाँ भी पाठशाला खोलने के प्रयत्न चल रहे हैं।

किसानों की दयनीय स्थिति का एक प्रमुख कारण ऋण है। सेठ-साहूकार थोडा सा क़र्ज़ किसान को देकर उसे अपनी फसल बहुत कम दाम में बेचने को मजबूर कर देते हैं। इसलिए गांवों में बैंक खोले जा रहे हैं जो मामूली ब्याज पर किसानों को ऋण देते हैं।

इसके अतिरिक्त ग्रामीण व्यक्तियों को विभिन्न व्यवसायों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। हथकरघा और हस्त-शिल्प की ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। विचार यह है कि छोटे उद्योगों व कुटीर उद्योगों की स्थापना से किसानों को लाभ हो।

पहले गांवों में यातायात के साधन बहुत कम थे। गांव से पक्की सड़क 15-20 किलोमीटर दूर तक हुआ करती थी। कहीं-कहीं रेल पकड़ने के लिए ग्रामीणों को 50-60 किलोमीटर तक पैदल जाना पड़ता था। अब धीरे-धीरे यातायात के साधनो का विकास किया जा रहा है।

फिर भी ग्राम-सुधार की दिशा में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। अभी भी अधिकाँश किसान निरक्षर हैं। गांवों में उद्योग धंधों का विकास अधिक नहीं हो सका है। ग्राम-पंचायतों और न्याय-पंचायतों को धीरे-धीरे अधिक अधिकार प्रदान किये जा रहे हैं। इसलिए यह सोंचना भूल होगी कि जो कुछ किया जा चुका है, वह बहुत है। वास्तव में इस दिशा में जितना कुछ किया जाये, कम है।

हमें यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि गांवों के विकास पर ही देश का विकास निर्भर है। यहाँ तक कि बड़े उद्योगों का माल भी तभी बिकेगा जब किसान के पास पैसा होगा। थोड़ी सी सफाई या कुछ सुविधाएँ प्रदान कर देने मात्र से गांवों का उद्धार नहीं हो सकेगा। गांवों की समस्याओं पर पूरा-पूरा ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
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