Essay on Problem Of Inflation in Hindi | Nibandh
Problem Of Inflation Essay in Hindi
Given below some lines of Short Nibandh / Essay on Problem Of Inflation in Hindi.आज सारा विश्व महंगाई की समस्या से पीड़ित है। हमारा देश भी इससे अछूता नहीं है। भारत में भी महंगाई की समस्या एक गम्भीर समस्या बन चुकी है। जिससे पूछिए वही कहता है कि हम महंगाई से बहुत दुखी हैं। गुजारा नहीं होता। चाहे कितना ही धन कमाकर लाएं तब भी दिन नहीं कटते हैं। स्वतंत्रता के पश्चात प्रति वर्ष महंगाई बढ़ती ही गई है।
अब प्रश्न यह है कि महंगाई क्यों बढ़ती है? इसके क्या-क्या मूल कारण हैं? महंगाई के लिए सबसे प्रबल कारण युद्ध होते हैं। जब दो देशों में युद्ध छिड़ जाता है तब चीजों की आवश्यकता सैनिकों के लिए बढ़ जाती है। सरकार माल खरीदना आरम्भ कर देती है। ऐसी दशा में चीजों के दाम बढ़ा दिए जाते हैं। कई बार रेलें भी सही समय पर कोयला नहीं पहुंचाती हैं तो नगरों में कोयले के दाम बढ़ जाते हैं। ऐसे ही बाकी यातायात के साधनों की कमी के कारण भी चीजों के दाम बढ़ जाते हैं। अनाज और वस्त्रों के साथ भी कुछ ऐसा ही है। हड़तालों से भी चीजों के दाम बढ़ जाते हैं।
महंगाई बढ़ाने के लिए पूंजीपति व्यापारी भी उत्तरदायी होते हैं क्योंकि ये लोग अनेक प्रकार के पदार्थों का संग्रह कर लेते हैं और फिर सामान को बाज़ार में लाते ही नहीं। इससे छोटे व्यापारियों को सामान मिलना बंद हो जाता है। ऐसी दशा में बाज़ार में चीजों के दाम बढ़ने लगते हैं। लोग तंग आ जाते हैं। चोरबाज़ारी और कालाबाज़ारी का रंग खूब जमने लगता है। सब ओर बेईमान व्यापारी चोरबाज़ारी से अपने हाथ काले करने में लग जाते हैं। धनी और धनी बन जाते हैं और गरीब जनता भूख से पीड़ित होकर मरती है, बढ़ती हुई महंगाई से पिसती है।
महंगाई कभी-कभी वस्तुओं के उत्पाद न होने से भी बढ़ जाती है क्योंकि कच्चा माल नहीं मिलता। ऐसी दशा में लोगों को दैनिक प्रयोग की साधारण वस्तुएं भी महंगी मिलती हैं। आज-कल देश की ऐसी ही दशा है। सरकार सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ाती है और व्यापारी चीजों की कीमतें बढ़ाते हैं।
पदार्थों की वितरण-प्रणाली के दोष-पूर्ण होने से भी देश में महंगाई बढ़ जाती है। वस्तुओं के अधिक प्रयोग से भी उनका मूल्य बढ़ जाता है। महंगाई बढ़ने के प्रमुख कारण हमारे सामने आते हैं। इस सम्बन्ध में सरकार की प्रत्येक योजना पर पर्याप्त धन व्यय हो रहा है किन्तु भ्रष्ट लोग मध्य में आकर धन को हड़प जाते हैं।
व्यापारी लोग दर-प्रतिदर कीमतें बढ़ाते हैं और फिर इसको देखकर सरकार भी अपनी दरें बढ़ा देती है। बनावटी कमी, व्यापारी वर्ग की मुनाफाखोरी, जमाखोरी की प्रवृत्ति, भ्रष्टाचार आदि महंगाई के प्रमुख कारण हैं। जनता को चाहिए कि जिन चीजों की कीमत बढ़ती हुई लगें, उन्हें खरीदे ही नहीं। जब खरीद ही नहीं होगी तो जमाखोर व्यापारी अपने आप ही चीजों की कीमतें कम कर देंगे।
आवश्यकताओं को कम कर देने से चीजों की कीमतें स्वतः ही कम हो जाती हैं। सरकार को चाहिए कि दैनिक आवश्यकता वाली वस्तुओं के दाम कभी न बढ़ने दे और इन वस्तुओं का उत्पादन ऐसे लोगों के हाथों में न जाने दे, जिन्होंने कीमतें बढ़ाने की शपथ खा रखी है। तभी देश में महंगाई कम हो सकती है और जनता को सुख मिल सकता है। जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक महंगाई बढ़ती रहेगी और जनता दुखी और परेशान होती रहेगी।
अब प्रश्न यह है कि महंगाई क्यों बढ़ती है? इसके क्या-क्या मूल कारण हैं? महंगाई के लिए सबसे प्रबल कारण युद्ध होते हैं। जब दो देशों में युद्ध छिड़ जाता है तब चीजों की आवश्यकता सैनिकों के लिए बढ़ जाती है। सरकार माल खरीदना आरम्भ कर देती है। ऐसी दशा में चीजों के दाम बढ़ा दिए जाते हैं। कई बार रेलें भी सही समय पर कोयला नहीं पहुंचाती हैं तो नगरों में कोयले के दाम बढ़ जाते हैं। ऐसे ही बाकी यातायात के साधनों की कमी के कारण भी चीजों के दाम बढ़ जाते हैं। अनाज और वस्त्रों के साथ भी कुछ ऐसा ही है। हड़तालों से भी चीजों के दाम बढ़ जाते हैं।
महंगाई बढ़ाने के लिए पूंजीपति व्यापारी भी उत्तरदायी होते हैं क्योंकि ये लोग अनेक प्रकार के पदार्थों का संग्रह कर लेते हैं और फिर सामान को बाज़ार में लाते ही नहीं। इससे छोटे व्यापारियों को सामान मिलना बंद हो जाता है। ऐसी दशा में बाज़ार में चीजों के दाम बढ़ने लगते हैं। लोग तंग आ जाते हैं। चोरबाज़ारी और कालाबाज़ारी का रंग खूब जमने लगता है। सब ओर बेईमान व्यापारी चोरबाज़ारी से अपने हाथ काले करने में लग जाते हैं। धनी और धनी बन जाते हैं और गरीब जनता भूख से पीड़ित होकर मरती है, बढ़ती हुई महंगाई से पिसती है।
महंगाई कभी-कभी वस्तुओं के उत्पाद न होने से भी बढ़ जाती है क्योंकि कच्चा माल नहीं मिलता। ऐसी दशा में लोगों को दैनिक प्रयोग की साधारण वस्तुएं भी महंगी मिलती हैं। आज-कल देश की ऐसी ही दशा है। सरकार सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ाती है और व्यापारी चीजों की कीमतें बढ़ाते हैं।
पदार्थों की वितरण-प्रणाली के दोष-पूर्ण होने से भी देश में महंगाई बढ़ जाती है। वस्तुओं के अधिक प्रयोग से भी उनका मूल्य बढ़ जाता है। महंगाई बढ़ने के प्रमुख कारण हमारे सामने आते हैं। इस सम्बन्ध में सरकार की प्रत्येक योजना पर पर्याप्त धन व्यय हो रहा है किन्तु भ्रष्ट लोग मध्य में आकर धन को हड़प जाते हैं।
व्यापारी लोग दर-प्रतिदर कीमतें बढ़ाते हैं और फिर इसको देखकर सरकार भी अपनी दरें बढ़ा देती है। बनावटी कमी, व्यापारी वर्ग की मुनाफाखोरी, जमाखोरी की प्रवृत्ति, भ्रष्टाचार आदि महंगाई के प्रमुख कारण हैं। जनता को चाहिए कि जिन चीजों की कीमत बढ़ती हुई लगें, उन्हें खरीदे ही नहीं। जब खरीद ही नहीं होगी तो जमाखोर व्यापारी अपने आप ही चीजों की कीमतें कम कर देंगे।
आवश्यकताओं को कम कर देने से चीजों की कीमतें स्वतः ही कम हो जाती हैं। सरकार को चाहिए कि दैनिक आवश्यकता वाली वस्तुओं के दाम कभी न बढ़ने दे और इन वस्तुओं का उत्पादन ऐसे लोगों के हाथों में न जाने दे, जिन्होंने कीमतें बढ़ाने की शपथ खा रखी है। तभी देश में महंगाई कम हो सकती है और जनता को सुख मिल सकता है। जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक महंगाई बढ़ती रहेगी और जनता दुखी और परेशान होती रहेगी।
Essay on Problem Of Inflation in Hindi | Nibandh
Reviewed by Unknown
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