(चंद्रशेखर आजाद) CHANDRA SHEKHAR AZAD in Hindi | Jivani | Jeevan Parichay | Essay
चंद्रशेखर आजाद का जीवन परिचय (Chandra Shekhar Azad Jivani in Hindi):
Given below some lines for Short Essay / Jeevan Parichay of Chandra Shekhar Azad in Hindi.
Given below some lines for Short Essay / Jeevan Parichay of Chandra Shekhar Azad in Hindi.
'चंद्रशेखर आज़ाद' का जन्म 23 जुलाई 1906 को हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित सीताराम तिवारी था, जो बदर गांव, जिला-उन्नाव, उत्तर प्रदेश के निवासी थे। उनकी माँ का नाम जगरानी देवी था। आजाद का प्रारम्भिक जीवन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्थित भाबरा गाँव में बीता।
चंद्रशेखर आज़ाद, मात्र 17 वर्ष की आयु में क्रांतिकारी दल ‘हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ में सम्मिलित हो गए। उन्होंने दल में प्रभावी भूमिका निभायी। उन्होंने प्रसिद्ध ‘काकोरी कांड’ में सक्रिय भाग लिया। सांडर्स वध, सेण्ट्रल असेम्बली में भगत सिंह द्वारा बम फेंकना, वाइसराय की ट्रेन बम से उड़ाने की चेष्टा, सबके नेता वही थे। 1921 में जब महात्मा गाँधी के असहयोग आन्दोलन प्रारंभ किया तो उन्होंने उसमे सक्रिय योगदान किया। चंद्रशेखर आज़ाद के ही सफल नेतृत्व में भगतसिंह और बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल, 1929 को दिल्ली की केन्द्रीय असेंबली में बम विस्फोट किया।
27 फ़रवरी, 1931 को जब चंद्रशेखर आज़ाद अपने साथी सुखदेव राज के साथ एल्फ्रेड पार्क में बैठकर विचार–विमर्श कर रहे थे तो मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने उन्हें घेर लिया। बहुत देर तक आज़ाद ने जमकर अकेले ही मुक़ाबला किया। उन्होंने अपने साथी सुखदेवराज को पहले ही भगा दिया था। आख़िर में उनके पास केवल एक आख़िरी गोली बची। उन्होंने सोचा कि यदि मैं यह गोली भी चला दूँगा तो जीवित गिरफ्तार होने का भय है। उन्होंने आख़िरी गोली स्वयं पर ही चला दी। इस घटना में चंद्रशेखर आज़ाद की मृत्यु हो गई।
चंद्रशेखर आज़ाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे। उन्होंने साहस की नई कहानी लिखी। उनके बलिदान से स्वतंत्रता के लिए आंदोलन तेज़ हो गया। हज़ारों युवक स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। आज़ाद के शहीद होने के सोलह वर्षों के बाद 15 अगस्त सन् 1947 को भारत की आज़ादी का उनका सपना पूरा हुआ। एक महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में आज़ाद को सदैव याद किया जायेगा।
चंद्रशेखर आज़ाद, मात्र 17 वर्ष की आयु में क्रांतिकारी दल ‘हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ में सम्मिलित हो गए। उन्होंने दल में प्रभावी भूमिका निभायी। उन्होंने प्रसिद्ध ‘काकोरी कांड’ में सक्रिय भाग लिया। सांडर्स वध, सेण्ट्रल असेम्बली में भगत सिंह द्वारा बम फेंकना, वाइसराय की ट्रेन बम से उड़ाने की चेष्टा, सबके नेता वही थे। 1921 में जब महात्मा गाँधी के असहयोग आन्दोलन प्रारंभ किया तो उन्होंने उसमे सक्रिय योगदान किया। चंद्रशेखर आज़ाद के ही सफल नेतृत्व में भगतसिंह और बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल, 1929 को दिल्ली की केन्द्रीय असेंबली में बम विस्फोट किया।
27 फ़रवरी, 1931 को जब चंद्रशेखर आज़ाद अपने साथी सुखदेव राज के साथ एल्फ्रेड पार्क में बैठकर विचार–विमर्श कर रहे थे तो मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने उन्हें घेर लिया। बहुत देर तक आज़ाद ने जमकर अकेले ही मुक़ाबला किया। उन्होंने अपने साथी सुखदेवराज को पहले ही भगा दिया था। आख़िर में उनके पास केवल एक आख़िरी गोली बची। उन्होंने सोचा कि यदि मैं यह गोली भी चला दूँगा तो जीवित गिरफ्तार होने का भय है। उन्होंने आख़िरी गोली स्वयं पर ही चला दी। इस घटना में चंद्रशेखर आज़ाद की मृत्यु हो गई।
चंद्रशेखर आज़ाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे। उन्होंने साहस की नई कहानी लिखी। उनके बलिदान से स्वतंत्रता के लिए आंदोलन तेज़ हो गया। हज़ारों युवक स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। आज़ाद के शहीद होने के सोलह वर्षों के बाद 15 अगस्त सन् 1947 को भारत की आज़ादी का उनका सपना पूरा हुआ। एक महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में आज़ाद को सदैव याद किया जायेगा।
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